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जल-तरंग Contest

mere vichar
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जल-तरंग हुई भंग-भंग
मेरा काँप उठा हर अंग-अंग
घनघोर घटा आई संग-संग
उसे देख हुआ मैं दंग-दंग
जब जल-तरंग ने बदला वह ढंग
लगा हो चुकी घोषित है जंग
उड़े बहुतेरों के रंग-रंग
अब बची किसी में न उमंग
जब जल-तरंग होके दबंग
घुल गई फ़िज़ा में बनके रंग
उसकी ध्वनि हुई धड़-धड़ंग
लगा बाजने अबकी मृदंग
जब गिरी जमीं पे अंतिम तरंग
लगा थम गयी है जल-तरंग
दिखने लगी उड़ती पतंग
होने लगी वह गली तंग-तंग
छंटने लगी धुंध अंतरंग
बहने लगी हवा मंद-मंद
गूंजी सदा आकाश में
एक दिन उठेगी फिर जल-तरंग।

जल-तरंग हुई भंग-भंग

मेरा काँप उठा हर अंग-अंग

घनघोर घटा आई संग-संग

उसे देख हुआ मैं दंग-दंग

जब जल-तरंग ने बदला वह ढंग

लगा हो चुकी घोषित है जंग

उड़े बहुतेरों के रंग-रंग

अब बची किसी में न उमंग

जब जल-तरंग होके दबंग

घुल गई फ़िज़ा में बनके रंग

उसकी ध्वनि हुई धड़-धड़ंग

लगा बाजने अबकी मृदंग

जब गिरी जमीं पे अंतिम तरंग

लगा थम गयी है जल-तरंग

दिखने लगी उड़ती पतंग

होने लगी वह गली तंग-तंग

छंटने लगी धुंध अंतरंग

बहने लगी हवा मंद-मंद

गूंजी सदा आकाश में

एक दिन उठेगी फिर जल-तरंग।

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